रविवार, 1 जुलाई 2012

औरत


मूंज की चटाई पर लेटा
लगा रहा सुट्टा बीड़ी का
अधबुढ-जवान...

कुतिया अभी कल ही
ब्याई है
कई रंग के पिल्ले-
धूप सेंक रहे हैं सब
आंगन में पुआल पर...

गाय भूसा खाकर पागुर कर रही है...

अभी आकर
घर के भीतर से लौट गया है
पडोस का बच्चा...

चल रहे हैं सब
अपनी-अपनी गति से
जरूरत के मुताबिक अपनी-अपनी

'डोल रही है बिना मतलब
घर के इस छोर से उस छोर तक'
वह
घर की अकेली औरत.

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