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समूचा भारतीय साहित्य मानव-प्रकृति-साहचर्य की उद्बाहु घोषणा करता रहा है — ‘ पश्य देवस्य काव्यं। न ममार न जिर्यति। ’ यह ‘ देवस्यकाव्यं ’ है...
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वंदे बोधमयं नित्यम् : आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल आधुनिकता और नवजागरण के संदर्भ में स्वचेतनता , वैचरिकता और इतिहास-दृष्टि का उल्लेख और सं...
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कुबेरनाथ राय के लेखन का तीसरा विषय-क्षेत्र है µ रामकथा इसमें वे खूब रमे हैं। उन्होंने इस विषय पर तीन स्वतन्त्र किताबें ही लिख डाली हैं। ‘...
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हिंदी साहित्य की परम्परा में कुबेरनाथ राय की गणना आचार्य हजारी प्रसाद साथ ललित-निबंध-त्रयी के रूप में होती है . किंतु, केवल इतना कहना उनके...